आधुनिक तकनीक से बीन्स व सब्जी पैदा कर नवनीत वर्मा बने लखपति

मध्य प्रदेश के बैतूल निवासी किसान नवनीत वर्मा वर्तमान में बीन्स एवं सब्जियों को देश के साथ साथ विदेशों में भी निर्यात कर रहे हैं। पूर्व में पारंपरिक कृषि से हताश होकर आधुनिक खेती की तरफ रुख किया, जिसके लिए उन्होंने इधर उधर से कर्ज लेकर इसकी तैयारी की। अन्य कई सारे किसान इसी कारण से आधुनिक खेती की तरफ बढ़ रहे हैं। आधुनिक खेती में किसानों को अत्यधिक श्रम नहीं करना पड़ता एवं किसान परंपरागत खेती की अपेक्षा शीघ्र पैदावार अर्जित कर लेते हैं। पारंपरिक खेती की तुलना में किसान बागवानी फसलों के जरिये अधिक बार पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए कमाई भी पारंपरिक फसलों से अधिक होती है। इन्ही सब पहलुओं को देखते हुए पारंपरिक कृषि प्रणाली की जगह आधुनिक तकनीक से सब्जियों का उत्पादन वर्तमान में किसानों की प्राथमिकता बन गयी है।

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इस बात के एक उदाहरण मध्य प्रदेश के बैतूल निवासी किसान नवनीत वर्मा हैं। सोयाबीन, गन्ना, मूंग, मक्का, गेहूं की कृषि आजमाने के बाद जब आय कम होने लगी तो उन्होंने अपने मित्र की सलाह मानकर सब्जियों व बीन्स की खेती करना प्रारंभ कर दिया। जिसका बेतहर संरक्षण एवं उत्तम पैदावार लेने के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया, जिसके अंतर्गत उन्होंने शेडनेट एवं पॉलीहाउस जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया। कभी कर्ज लेकर आधुनिक खेती करने वाले नवनीत वर्मा आज मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र की मंडियों समेत अन्य अरब देशों तक सब्जियों व बीन्स को बेचकर औसतन १ लाख रुपये माह के हिसाब से अर्जित कर रहे हैं।

नवनीत कितने एकड़ भूमि में सब्जियों का उत्पादन करते हैं ?

आपको बतादें कि नवनीत वर्मा ने 10 एकड़ भूमि में मौसंबी, स्ट्राबैरी, स्ट्राबैरी एवं बेर का उत्पादन प्रारंभ किया था। रोचक बात यह है कि किसान नवनीत वर्मा के ही एक मित्र ने उनको सब्जियों की खेती करने के लिए सलाह दी थी। उन्होंने मित्र की सलाह को बिना किसी भय के मान लिया एवं कर्ज लेकर के सब्जियों की पैदावार प्रारंभ करदी।

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सरकार आधुनिक तकनीकों से खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई लाभकारी योजनाओं के अंतर्गत शेडनेट आदि तकनीकों पर अनुदान देती है। जिसका लाभ लेकर नवनीत भी अब तक १ एकड़ भूमि में शेडनेट लगा चुके हैं और आज अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने पहले २० लाख का खर्च कर ककड़ी, गोभी, टमाटर लगाए परन्तु बीन्स के जरिये अधिक आय होने के कारण उन्होंने सिर्फ बीन्स की ही फसल लगाने का निर्णय किया। बीन्स की खेती में २० प्रतिशत रासायनिक उर्वरक व ८० प्रतिशत जैविक खाद का उपयोग होता है। नवनीत वर्मा बीन्स के बीज भी उत्पादित करते हैं।